घर्षण बल किसे कहते हैं || What is Friction In hindi ( Gharshan Bal Kise Kahate Hain)

घर्षण हमारी पृथ्वी का एक हिस्सा हैं  यदि घर्षण ना हो तो कोई भी काम करना संभव नही | इंसानों के काम को आसान करने के लिए घर्षण का बहुत अधिक महत्व हैं इसलिए आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं कि घर्षण क्या होता है | घर्षण कितने प्रकार के होता हैं| स्थैतिक तथा गतिक घर्षण ,लोटनिक घर्षण |  आदि विषय के बारे में जानने वाले हैं |

 

घर्षण किसे कहते हैं

घर्षण गुणांक क्या हैं |

घर्षण कितने प्रकार के होते हैं |

स्थैतिक घर्षण किसे कहते हैं

सीमान्त घर्षण किसे कहते हैं |

गतिक घर्षण किसे कहते हैं | (सर्पी घर्षण किसे कहते हैं |)

लोटनिक घर्षण किसे कहते हैं |

तरल घर्षण किसे कहते हैं |


 

 

घर्षण किसे कहते हैं

यदि किसी क्षेतिज मेज पर रखी पुस्तक को किसी वेग से धकेल दिया जाये अथवा किसी गेंद को फर्श पर किसी वेग लुढका दिया जाये तो ये दोनों थोडा चलने के पश्चात रुक जाती हैं | इससे यह स्पष्ट होता है कि पुस्तक तथा गेंद पर कोई ऐसा बल अवश्य लग रहा है जो इनकी सापेक्ष गति का विरोध करता हैं | यह बल संपर्क में आने वाली सतहों की स्पर्श रेखा की सीध में होता हैं |

अतः वस्तुओ का वह गुण जिसके कारण संपर्क में आने पर वह अपनी सापेक्ष गति का विरोध करती हैं घर्षण बल कहलाता हैं |  

घर्षण बल –

जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु के पृष्ट पर फिसलती हैं | या फिसलने का प्रयास करती हैं तो दोनों पृष्ठों की संपर्क की स्पर्शी के अनुदिश गति की विपरीत दिशा में एक गति विरोधी बल कार्य करता हैं यही बल घर्षण बल कहलाता हैं |

घर्षण बल की उत्पत्ति का कारण -
 

आँख से देखने पर जो सतह पूर्ण समतल दिखाई देती हैं सूक्ष्म दर्शी से देखने पर वही सतह ऊबड़ खाबड़ दिखाई देती हैं | सतह पर बहुत सूक्ष्म उभार तथा गर्त अनियमित रूप से बिखरे रहते हैं | सतह की इस अनियमितताओ के कारण , जब दो सतह एक दूसरे के संपर्क में आती हैं तो एक सतह का उभार दूसरी सतह के गर्त में ठीक तरह बैठ जाता हैं इस प्रकार इन उभार तथा गर्तो के बीच में interlocking हो जाती हैं | जब दो सतहों के बीच में गति होती हैं तो एक सतह को दूसरी सतह के interlocking से निकलने के लिए कुछ कार्य करना पड़ता हैं | जिससे गति अवमंदित हो जाती हैं | गति म अवमंदन तभी होता हैं जब अवरोधी बल कार्य करता हैं | अवरोधी वाली सतह पर यही विरोधी बल घर्षण बल के रूप में प्रकट होता हैं |

 

आणविक बलों के कारण -

घर्षण का कारण केवल सतह की अनियमितता ही नहीं हो सकता हैं क्योंकि सतह पर अच्छी तरह से पोलिश कर देने के बाद सतह की अनियमितता तो लगभग समाप्त हो जाती हैं लेकिन घर्षण समाप्त नही होता हैं | इससे यह प्रतीत होता हैं कि घर्षण आणविक बालो के कारण भी होता हैं | जब दो सतह एक दुसरे के संपर्क में आती हैं तो उनके अधिकांश अणु एक दुसरे के बहुत अधिक पास आ जाते हैं | तथा उनके बीच आकर्षण बल कार्य करता हैं समान पदार्थो के बीच लगने वाले आकर्षण बल को ससंजक कहते हैं तथा असमान पदार्थो के बीच लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं | इन दोनों आकर्षण बलों के कारण दोनों सतह एक दूसरे से चिपक जाती हैं | इसलिए जब एक वस्तु दूसरी वस्तु के ऊपर सरकती हैं दो उन बिन्दुओ को जहाँ वे आकर्षण के कारण चिपके रहते हैं अलग करने के लिए एक आवश्यक रूप से एक बल लगाना पड़ता हैं | अतः वह आणविक आकर्षण जिसे गति बनाये रखने के लिए पार करना अवश्य होता हैं घर्षण कहलाता हैं |

इस प्रकार घर्षण बल का मुख्य कारण दोनों वस्तुओ की संपर्क सतह के अणु परमाणु के बीच लगने वाले विद्युत चुम्बकीय बल ही हैं |

 

घर्षण कितने प्रकार के होते हैं |

 

घर्षण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं |

 

स्थैतिक घर्षण किसे कहते हैं

जब दो वस्तुए एक दूसरे के संपर्क में विराम अवस्था में होती हैं | तो उनके बीच में लगने वाले घर्षण बल को स्थैतिक घर्षण कहते हैं |

माना की किसी क्षेतिज धरातल पर एक गुटका रखा हैं गुटके पर दो बल लगते हैं एक इसका भार mg जो की इसके गुरुत्व केंद्र पर उर्ध्वाधर नीचे की और हैं तथा इस पर क्षेतिज धरातल द्वारा आरोपित प्रतिक्रिया बल p हैं जोकि उर्ध्वाधर ऊपर की और हैं यह भी इसके गुरुत्व केंद्र से होकर गुजरता हैं | क्योंकि गुटका संतुलन में हैं इसलिए P = mg 

जब गुटके पर एक लघु क्षेतिज बल F दाई और लगाया जाता हैं तो गुटका अपने स्थान से चलना प्रारंभ नही करता हैं इस दशा में गुटके पर लगने वाला बल P कुछ बायीं हो को इतना झुक जाता हैं कि  P , mg , व F एक बंद त्रिभुज बन सके |

अब P को दो घटकों में वियोजित कर सकते हैं |

1.       संपर्क तलो के समान्तर

2.       संपर्क तलो के लम्बवत

 

संपर्क तलो के समांतर घटक Fs ही स्थैतिक घर्षण बल हैं

इस प्रकार जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु के ऊपर चलाने का प्रयास करते है परन्तु फिर भी वस्तु विराम अवस्था में ही रहती हैं तो दोनों वस्तुओ की संपर्क सतह के बीच जो बल कार्य करता हैं use स्थैतिक घर्षण बल कहते हैं |   

Fs = Us*R

Where Us =  स्थैतिक घर्षण गुणांक हैं

सीमान्त घर्षण किसे कहते हैं |

उपर की स्थिति में यदि आरोपित बल F को थोडा सा और अधिक बढ़ा दिया जाये तो गुटका चलना प्रारंभ नही करता हैं इससे स्पष्ट हैं कि बल P बाई और को कुछ और झुक जाता हैं जिससे की स्थैतिक घर्षण बल Fs भी बढ़ता हैं परन्तु एक सीमा के बाद Fs नही बढ़ता सकता हैं इस समय गुटका चलने ही वाला होता हैं स्थैतिक घर्षण बल Fs के इस अधिकतम मान को सीमांत घर्षण कहते हैं |

इस प्रकार जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर फिसलने का प्रयास करती हैं तो इस प्रयत्न के विरुद्ध एक अधिकतम घर्षण बल उत्पन्न होता हैं जिससे वस्तु ठीक विराम में बनी रहती हैं इस अधिकतम घर्षण बल को सीमांत घर्षण या चरम घर्षण बल कहते हैं |

स्थैतिक घर्षण सदैव सीमांत घर्षण से कम होता हैं |   

सीमांत घर्षण के नियम

सीमांत स्थैतिक घर्षण बल का परिमाण संपर्क तलो की प्रकृति तथा उनके खुरदरेपन पर निर्भर करता हैं यदि सतहों के बीच लगने वाला अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल R नियत हो तो सीमांत घर्षण बल तलो के आकार अथवा क्षेत्रफल पर निर्भर नही करता हैं |

दिए हुवे तलो के लिए घर्षण बल संपर्क तलो के स्पर्शरेखीय अथवा समांतर कार्य करता हैं तथा इसकी दिशा सदैव उस दिशा के विपरीत होती है जिसमे गुटका चलने के लिए प्रेरित होता हैं |

 

 

गतिक घर्षण किसे कहते हैं |

जब परस्पर संपर्क में आये दो तलो के बीच में आपेक्षित गति प्रारंभ होती हैं तो तलो के बीच लगने वाला घर्षण बल घट जाता है  तथा अब एक सामान गति बनाये रखने के  लिए कुछ कम परिणाम के बल की आवशयकता होती हैं | “गति के दोरान तलो के बीच लगने वाले घर्षण बल को गतिक घर्षण बल Fk कहते हैं तथा इसका मान सीमांत घर्षण स्थैतिक घर्षण बल से कम होता हैं | गति प्रारंभ होने के क्षण सीमांत घर्षण बल का मान घटकर स्थैतिक घर्षण बल के बराबर हो जाता हैं | पिंड पर लगने वाले गतिक घर्षण बल का परिमाण लगभग नियत  रहता हैं यह पिंड  की गति पर निर्भर नही करता हैं |

इस प्रकार “एक दूसरे की सतह पर नियत वेग से फिसलने वाली वस्तुओ की संपर्क सतह पर गति की विपरीत दिशा में जो घर्षण बल उत्पन्न होता हैं उसे गतिक घर्षण बल कहते हैं | इस घर्षण बल को सर्पी घर्षण भी कहते हैं |

Fk = Us*R

गतिक घर्षण बल के नियम

संपर्क सतहों के क्षेत्रफल पर निर्भर नही करता हैं

सदैव गति की दिशा के विपरीत दिशा में कार्य करता हैं

फिसलने की चाल से भी स्वतंत्र होता हैं  

 

सर्पी घर्षण किसे कहते हैं |

जब एक वस्तु की सतह दूसरी वस्तु की सतह पर फिसलती हैं तो उनकी गति का विरोध करने वाले बल को सर्पी घर्षण बल कहत हैं यह घर्षण बल दोनों सतहों की संपर्क तल की स्पर्शी के अनुदिश और गति की विपरीत दिशा के अनुदिश होता हैं उदारहरण के लिए यदि मेज पर रखी पुस्तक को खिसकाया जाये तो मेज और पुस्तक की संपर्क सतहों के बीच में जो बल कार्य करता है उस बल को सर्पी घर्षण कहते हैं |

 

 

लोटनिक घर्षण किसे कहते हैं |

 

यदि एक पिंड किसी दूसरी पिंड की सतह पर लुढ़कता है या लुढ़कने का प्रयास करता हैं तो दोनों पिंडो के संपर्क तलो के बीच जो घर्षण बल कार्य करता हैं उसे लोटनिक घर्षण कहते हैं |

यह साधारण अनुभव की बात हैं कि किसी भारी वस्तु को खिसकाकर ले जाने की अपेक्षा लुढकाकर ले जाना आसान होता हैं अर्थात लोटनिक घर्षण का मान सर्पी घर्षण के मान की अपेक्षा कम होता हैं |

 

सर्पी घर्षण तथा लोटनिक घर्षण में अंतर

सर्पी घर्षण

लोटनिक घर्षण

जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर खिसकती हैं तो उन दोनों की संपर्क सतहों के बीच में लगने वाले बल को सर्पी घर्षण कहते हैं |

सर्पी घर्षण का मान अधिक  होता हैं |

इसका मूल कारण एक वस्तु की सतह पर उपस्थित उभार तथा गर्तो में दूसरी वस्तु की सतह के उभार तथा गर्तो का interlocking हैं

जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर लुढ़कती हैं तो उन दोनों की संपर्क सतह पर लगने वाले घर्षण को लोटनिक घर्षण कहते हैं |

 

लोटनिक घर्षण का मान कम होता हैं |

 

इसका मूल कारण पहिय द्वारा उभार पार करने में कठनाई हैं |

 

 

तरल घर्षण किसे कहते हैं |

तरल पदार्थो में बहुत सी परते होती हैं , जब तरल पदार्थ गति करते हैं तो एक परत को दूसरी परत के ऊपर चलना पड़ता हैं | जिस कारण दो सतह एक दुसरे के संपर्क में आती हैं | दो सतहों के एक दुसरे के संपर्क में आने के कारण उन परतो में एक घर्षण बल उत्पन्न हो जाता हैं इस घर्षण बल को तरल घर्षण बल कहते हैं |

घर्षण बल से लाभ

घर्षण का सबसे बड़ा गुण यह है की पृथ्वी पर हम घर्षण बल की ही सहायता से चल पाते हैं घर्षण की ही वजह से हम अपने हाथो में किसी भी चीज को पकड़ पाते हैं यदि घर्षण न हो तो हम कुछ भी कार्य न कर पाए चलना तो दूर हम चार पाई पर ठीक से सो भी नहीं सकते हैं | घर्षण के कारण वस्तुय फिसलती नही हैं सतहत पकड़ अच्छी बनी रहती हैं |

घर्षण के कारण ही वाहन सडको पर तेज गति से दोड पाते हैं यदि वाहन के टायर या सड़क के बीच घर्षण न हो तो वाहन के पहिये एक ही स्थान पर घूमते रहेंगे और टायर आगे नही बढेगा जैसे कीचड में धंसा हुवा ट्रक का टायर एक ही जगह घूमता रहता हैं |

घर्षण के कारण ही वाहनों क ब्रेक कार्य करते हैं और वाहन अपनी डेस्टिनेशन पर रुक पाते हैं |

घर्षण के बिना न तो रस्सियों में गाँठ बाँधी जा सकती है और ना ही लकड़ी या दीवारों में कील बाँधी जा सकती हैं |

 

घर्षण बल से  हानिया

मशीन के जो घूमते हैं उनका घिसना या टूट फूट घर्षण बल के कारण ही होती हैं |

मशीन के घूमने वाले भाग घर्षण के कारण गर्म हो जाते हैं जिससे मशीन के खराब होने की सम्भावना अधिक होती हैं |

मशीन को दी गयी ऊर्जा का बहुत बड़ा भाग घर्षण को समाप्त करने में व्यय हो जाता हैं |

घर्षण को कम करने की विधियां

पोलिश करना – दो सतह के बीच घर्षण कम करने के लिए उनकी सतहों के बीच पोलिश करके उनकी सतहों को चिकना बना दिया जाता हैं | इससे पदार्थो के उभार तथा गर्त भरकर सपाट हो जाते हैं तथा interlocking कम हो जाती हैं |

स्नेहक – स्नेहक एक ऐसा पदार्थ है जो संपर्क में आने वाले पृष्ठों के बीच में एक पतली परत बना लेता हैं जिस पदार्थो के उभार तथा गर्त कुछ हद तक कम हो जाते हैं |

बाल बियरिंग – हम जानते हैं की लोटनिक घर्षण का मान सर्पी घर्षण से कम होता हैं बाल बियरिंग इसी सिद्धांत पर कार्य करता हैं इसमें दो समक्ष बेलनो क बीच कठोर स्टील की गोलिया जमाई जाती हैं |


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