ओम का नियम किसी चालक में विद्दयुत
धारा के flow को ज्ञात करने के लिए बहुत जरूरी है | या किसी चालक तार में विद्युत्
धारा , वोल्टेज या चालक का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए बहुत जरूरी है |
ओम के नियम के बिना इन सब को ज्ञात करना बहुत मुस्किल है | इसलिए ये नियम
किसी चालाक में धारा प्रवाहित करने के लिए बहुत जरूरी हैं | इस नियम की भी कुछ
सीमाए हैं | जहां ये नियम काम करना बंद कर देता हैं | ये टॉपिक physics विषय का
बहुत ही जरूरी और कई physics की problems को आसान करने के लिए आवश्यक है physics
के कई ऐसे law है जो आज के टाइम में बहुत ज्यादा पोपुलर और जरूरी है लेकिन ओम के
नियम के बिना उनकी कल्पना कर पाना बहुत
मुश्किल हैं | इसलिए ओम का नियम physics
के विद्युत् धारा और प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में एक अहम् रोल अदा करता
हैं | ओम के नियम से रिलेटेड बहुत से टॉपिक है जैसे ओम का नियम क्या हैं , ओम
का नियम इन हिंदी , ओम का नियम 10th क्लास , ओम का नियम 12th क्लास , ओम के नियम
का निगमन , ओम के नियम की सीमाए ,ओम का नियम किस पर लोगु होता हैं , ओम का नियम
लिखिए और इसका प्रायोगिक सत्यापन कीजिये
इसलिए आज की इस
पोस्ट में हम ओम के नियम के बारे में बेसिक से लेकर एडवांस सभी टॉपिक पर डिस्कस
करने वाले है | और ये गूगल पर अब तक की
one of the best post on this topic जिसमे आपको हर चीज डिटेल में समझाई गई
है इसलिए इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना और इस टॉपिक से रिलेटेड सभी
जानकारी को जानने के लिए इस पोस्ट को कम्पलीट रीड कीजिये |
ओम का नियम ( ohm’s law )
1826 में जर्मन
साइंटिस्ट सर डॉ जोर्ज साइमन ओम ( George
simon ohm ) ने किसी चालक के सिरों पर लगाए गए विद्युत्
विभवान्तर तथा उसमे प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा के मध्य एक नियम का
प्रतिपादन किया जिसे आज हम ओम के नियम के नाम से जानते हैं | “ इस नियम के अनुसार
यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था (जैसे ताप ) में कोई परिपर्तन न हो तो उसके सिरों
पर लगाये विद्युत विभवान्तर तथा उसमे बहने वाली धारा का अनुपात नियन होता हैं” |
यदि चालाक के सिरों
पर लगा विद्युत विभवान्तर V तथा उसमे बहने वाली धारा i हो तो ओम के नियम के अनुसार
V/i = नियतांक
V/i का अनुपात चालाक
का प्रतिरोध है | जिसे R से दर्शाते हैं |
इसलिए V/i = R =
नियतांक
ओम के नियम के
अनुसार जब तक किसी चालक का ताप तथा अन्य भौतिक अवस्थाये नहीं बदलती , तब तक चालक
का प्रतिरोध नियत रहता हैं चाहे चालक के सिरों के बीच कितना भी विद्युत प्रतिरोध
क्यों न लगा दिया जाए |
यदि लगाये गए
विद्युत विभवान्तर V तथा चालाक में प्रवाहित धारा के बिच ग्राफ खींचे तो एक सरल
रेखा प्राप्त होती हैं | ओम का नियम केवल धातु चालको के लिए ही सत्य है |
ओम के नियम को हम इस तरह भी डिफाइन कर सकते हैं
ohm ke niyam
इस नियम के अनुसार “
यदि किसी चालाक की भौतिक अवस्था न बदली जाए जैसे ताप तो चालक के सिरों पर उत्पन्न
विभवान्तर V चालक में बहने वाली धारा i के अनुक्रमानुपाती या समानुपाती होता हैं
V α i
V = R i
जहाँ R एक नियतांक
है जिसे चालक प्रतिरोध कहते हैं
विद्युत प्रतिरोध ( Electrical
Resistance )
जब किसी चालक के दोनों सिरों के बीच विभवान्तर स्थापित किया जाता है तो चालक में
इलेक्ट्रिक करंट बहने लगता हैं | विद्दयुत विभवान्तर तथा विद्दयुत धारा के अनुपात
को विद्दयुत प्रतिरोध कहते हैं | यदि किसी चालक में विभवान्तर V तथा धारा i हो तो
चालक में विद्दयुत प्रतिरोध होगा
R = V / i
प्रतिरोध का S.I
पद्धति में मात्रक ohm है जिसे प्रतीक Ω से दर्शाते हैं | यदि किसी चालक में 1 वाल्ट का विभवान्तर होने पर 1 एम्पियर
के विद्युत धारा पर्वाहित होती हैं तो चालक में उत्पन्न विभवान्तर 1 ohm का होगा |
1 ohm = 1वोल्ट / एम्पियर
प्रतिरोध की विमा
]
ओम के नियम के अपवाद
सामान्य परिपथ ohm
के नियम का पालन करते हैं | और एक निश्चित ताप पर चालक के सिरों के मध्य उत्पन्न
विभवान्तर तथा चालक में बहने वाली धरा का अनुपात एक नियत होता हैं | ऐसे परिपथ को
ओमीय परिपथ कहते हैं | लेकिन सभी परिपथो में ohm के नियम का पालन नही होता हैं |
यदि हम किसी चालक तार प्रतिरोध की जगह एक टोर्च का बल्ब लगाकर उसमे विद्दयुत
विभवान्तर स्थापित करे और विभवान्तर के कारण बल्ब में धारा प्रवाहित करे तब यदि विभवान्तर तथा धारा के बीच ग्राफ खींचे तो
विभवान्तर V तथा धारा i के बीच का ग्राफ एक सरल रखा में प्राप्त नही होता हैं | ग्राफ
में केवल प्रारंभ में ही सरल रेखा प्राप्त होती हैं | उसके बाद वक्राकार हो जाती
हैं | इससे पता पता चलता हैं की प्रारंभ में V तथा i का अनुपात एक नियतांक था
लेकिन बाद में ये V के बढ़ने पर बढ़ने लगा | इसका कारण यह है की टोर्च बल्ब में
विद्युत धारा प्रवाहित होने पर इसका ताप बढ़ने लगता हैं इससे इसका प्रतिरोध भी बढ़
जाता हैं | इससे पता चलता है की धातू के बने चालक तारो में विद्दयुत धारा के कम
मान के लिए ही ओम के नियम का पालन होता होता उच्च धारा के लिए नहीं |
ओम के नियम की ताप पर निर्भरता
किसी चालक का ताप
बढ़ने पर चालक का प्रतिरोध भी बढ़ जाता है | जिस कारण ohm के नियम की सत्यता नही हो
पाती है अर्थात ohm का नियम चाक पदार्थ के ताप पर depend करता हैं |
ohm के नियम किसी
चालक का प्रतिरोध तार की लम्बाई , तार के परिच्छेद क्षेत्रफल तथा तार के भीतर
मुक्त एलेक्ट्रोनो के श्रन्तिकाल पर निर्भर करता हैं |
R = ml/ne2τA
रसायन विज्ञान की परिभाषा ?| रसायन विज्ञान क्या है?
तत्व क्या होते है ? |संक्रमण तत्व क्या है ?
conclusion
उम्मीद करते हैं की
आपको इस पोस्ट में ओम का नियम ( ohm’s law ) के बारे में कम्पलीट जानकारी
मिल गयी होगी अब भी यदि आपको इस टॉपिक से रिलेटेड कोई डाउट हो तो आप हमें कमेंट
सेक्शन में पूछ सकते हैं
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